महासुर रक्तबीज (जो ईर्ष्या भरे मद (घमण्ड) का या आजकल के हर क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार एवं अमर्यादित आचरण का प्रतीक या पर्याय है और मेरे विचार से यदि कोई नारी दृढ़ संकल्प ले लेवे तो निश्चित ही इस रक्त बीज को मार सकती है) को सारा खून पीकर मार दिया (अर्थात् नारी को जो ज्यादा सताता है, उसका वह खून भी पी जाती है। कहा भी जाता है कि यह तो सारे दिन मेरा खून पीती है।) निशुम्भ भाई
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शब्द-ब्रह्म ॐकार से ही समस्त स्वर, व्यञ्जन एवं नाद आदि ध्वनियाँ उत्पन्न और विकसित हुई हैं। प्रणवाक्षर (ॐ) स्वरूप स्वयं देवाधिदेव महादेव ने अपने डमरू को बजा कर चौदह शिवसूत्रों की ध्वनियाँ उत्पन्न की और इन सत्रों के आधार पर समस्त व्याकरण शास्त्र का निर्माण हुआ। वेदों को सही सही समझने के लिए वेद के छः अह्नों का पढना बहुत जरूरी है। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, छन्द, ज्योतिष, और निरुक्त नामक छ: अङ्गों में व्याकरण को मुख माना गया है और
Read Moreगणेशं शारदामम्बां, विधि-विष्णु-महेश्वरान् । पितरं वै गुरुं गौरी संस्मृत्याह प्रणम्य च ।। 1 ।। नारी जात्याः स्वभाव च, स्वरूपं गुण-कर्मजम् सप्रमाणं सटीकं हि, लिखामि तत्त्वतोमुदा ।। 2।। अर्थ : श्री गणेश, माँ सरस्वती, ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गुरु, पार्वती और माता-पिता को स्मरण एवं प्रणाम करके मैं (श्याम सुन्दर शर्मा उपनाम स्वामी) प्रसन्न मन से नारी-जाति के गुण और कर्मों से उत्पन्न स्वभाव तथा स्वरूप के बारे में वास्तविकता के साथ सप्रमाण और सटीक रूप से लिखने जा रहा हूँ। 2 – यह
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